मेडिकल प्रवेश आरक्षण नीति पर पुनर्विचार करे
केंद्र
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से कहा है कि वह
एमबीबीएस प्रवेश प्रक्रिया में अपनी आरक्षित कोटा नीति पर फिर से विचार करे
और ऐसी व्यवस्था करे कि इसमें प्रवेश छात्र की प्रतिभा और मेरिट के आधार
पर हो। एके सिकरी और सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ ने दिल्ली की तीन छात्राओं
द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।
दिल्ली की तीन छात्राओं ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्होंने दिल्ली
यूनिवर्सिटी मेडिकल डेंटल प्रवेश परीक्षा 2011 उत्तीर्ण की थी, मगर योग्य
होते हुए भी उन्हें सिर्फ आधार पर प्रवेश नहीं दिया गया क्योंकि सामान्य
वर्ग के कोटे की सीटें भर चुकी थीं जबकि आरक्षित कोटे की सीटें खाली थीं।
प्रवेश न मिलने से उनकी साल भर की मेहनत बेकार चली गई। दिल्ली उच्च
न्यायालय ने कहा कि हालांकि छात्राओं द्वारा मेडिकल कालेज में प्रवेश की
अंतिम तारीख 30 सितंबर 2011 निकल चुकी है, मगर ऐसी स्थिति वर्ष 2012 में
फिर से इन छात्राओं सहित बहुत से होनहार छात्रों के समक्ष आएगी। सरकार को
इस मुद्दे से निपटने की आवश्यकता है। अदालत ने कहा कि तीन छात्राओं का
मामला एक उदाहरण के रूप में है कि अक्सर होनहार छात्र को आरक्षित कोटे की
वजह से प्रवेश नहीं मिल पाता है इसलिए केंद्र को इस विषय पर मंथन करते हुए
इस प्रकार की व्यवस्था करनी चाहिए कि होनहार छात्रों को दाखिला मिल सके।
अदालत ने आरक्षित सीटों पर सरकार के अधिकार को बरकरार रखते हुए कहा कि
सरकार को अपने विभिन्न मेडिकल कालेजों में आरक्षित कोटे की सीटों को भरने
की नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि उम्मीद है कि केंद्र
सरकार इस विषय में तीन माह के भीतर कोई फैसला दे, जिससे कि वर्ष 2012 में
होनहार छात्रों के साथ ऐसी स्थिति दोबारा न आ सके।
No comments:
Post a Comment